दीवानगी

हम से दीवानों के बिन दुनिया सँवरती किस तरह
अक़्ल के आगे है क्या दीवानगी ये मत कहो
– जाँ निसार अख़्तर

नज़र

शिद्दत-ए-तिश्नगी में भी ग़ैरत-ए-मय-कशी रही
उस ने जो फेर ली नज़र मैं ने भी जाम रख दिया
– अहमद फ़राज़

समझौते

शाम तक सुब्ह की नज़रों से उतर जाते हैं
इतने समझौतों पे जीते हैं कि मर जाते हैं
– वसीम बरेलवी

रो कर दिखाओ 🙄

मेरी तरह ज़रा भी तमाशा किए बग़ैर
रो कर दिखाओ आँख को गीला किए बग़ैर
– अशोक साहिल

उम्र भर सफ़र

किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा
– अहम़द फ़राज़

होश

किसे हो इम्तियाज़-ए-जल्वा-ए-यार
हमें तो आप ही अपना नहीं होश
– बेदम शाह वारसी

होशियारी

पा जाना है खो जाना खो जाना है पा जाना
बेहोशी है होशियारी होशियारी है बेहोशी
– बेदम शाह वारसी

@imkartik_raj

क़ासिद के आते आते ख़त इक और लिख रखूँ
मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में
– मिर्ज़ा ग़ालिब